कबाड़ की शक्ल में बैठा हुआ है खतरा

26 Oct 2015
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भोपाल, पत्रिका। राजधानी के पर्यावरण और सुरक्षा के लिए खतरा बने कबाड़ गोदाम अभी तक शहर से बाहर नहीं हो पाए हैं। रहवासी क्षेत्र के बीच बने ये गोदाम कभी भी बड़े हादसे का सबब बन सकते हैं। अप्रैल 2010 में गोदाम में जब आग लगी थी तो दो दिन तक 12 दमकलें आग नहीं बुझा पाई थीं। उसके बाद जिला प्रशासन ने कबाड़ गोदामों को शहर से बाहर करने की योजना बनाई थी राजधानी में प्रति वर्ष करोड़ों का कबाड़ व्यवसाय होता है।

 

व्यवसायियों ने कबाड़ का संग्रह करने के लिए कबाड़खाना क्षेत्र में ही करीब 40 बड़े और 90 छोटे गोदाम बना रखे हैं। इनमें प्लास्टिक, वाहनों का जला ऑयल, गत्ते, कागज एवं अन्य ज्वलनशील पदार्थ भरे रहते हैं।

 

नोटिस देकर भूला प्रशासन

 

अप्रैल 2010 में कबाड़ गोदाम में लगी आग के बाद जिला प्रशासन ने कबाड़ गोदाम लगी आग के बाद जिला प्रशासन ने कबाड़ गोदाम संचालकों को नोटिस जारी किए थे। इसमें गोदामों को खाली कर शहर से बाहर ले जाने के लिए कहा गया था। तत्कालीन संभागायुक्त ने भी भोपाल विकास सम्बन्धी बैठक में सभी खतरनाक व्यवसायों को शहर से बाहर करने के निर्देश दिए थे।

 

ध्वनि और वायु प्रदूषण

 

कबाड़ गोदामों के अन्दर दिन-रात काम चलता रहता है। यहाँ से हमेशा तोड़फोड़ की तेज और कर्कश आवाजें जहाँ ध्वनि प्रदूषण फैलाती हैं वहीं कई चीजें जलाए जाने के कारण वायु प्रदषण भी फैलता है। प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड के अधिकारियों ने भी कई बार इन्हें नोटिस दिए हैं लेकिन इसका भी कोई असर नहीं हुआ। गोदामों के बाहर लोडिंग-अनलोडिंग के चलते सड़क भी जाम होती है।

 

कोर्ट में अटका मामला

 

जिला प्रशासन के अधिकारियों के अनुसार कबाड़ गोदामों को शहर के बाहर करने के लिए कार्रवाई शुरू हो गई थी। लेकिन इसी बीच कबाड़ व्यवसायी कोर्ट चले गए और कोर्ट ने यह फाइल तलब कर ली। जब तक कोर्ट से फाइल वापस नहीं आती, कुछ नहीं हो सकता है।

 

कार्रवाई होगी

 

कबाड़ गोदामों को शहर से बाहर करने की योजना काफी पहले बनी थी। इसकी ज्यादा जानकारी मुझे नहीं है। मामला कोर्ट में है। कोर्ट के निर्देशानुसार कार्रवाई होगी- बीएस जामोद, एडीएम भोपाल।

 

साभार : राजस्थान पत्रिका 26 अक्टूबर 2015

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